सिद्ध गोरखनाथ पीठ

सिद्ध गोरखनाथ पीठ भारत के हरियाणा राज्य के करनाल ज़िले के सुल्तानपुर में स्थित है। सिद्ध गोरखनाथ पीठ के वर्तमान महंत बाबा योगी रघुनाथ जी हैं बसंत पंचमी के अवसर पर यहां एक मेला लगता है जो श्री गोरखनाथ महोत्सव के नाम से प्रसिद्ध है।

सिद्ध गोरखनाथ पीठ का निर्माण- सिद्ध गोरखनाथ पीठ सुल्तानपुर (करनाल) में अनवरत योग- साधना का क्रम प्राचीन काल से चलता रहा है। बाबा गोरखनाथ जी की य़ात्रा ददरेवा (राजस्थान) से ज्वाला जी (हिमाचल प्रदेश ) परिभ्रमण के लिए जाते हुए इसी स्थान पर भगवती सरस्वती व भगवती यमुना दोनों के तटवर्ती क्षेत्र यहां दिव्य समाधि लगाकर बाबा गोरखनाथ जी ने "शाबर मंत्र" का निर्माण कर "अखंड धूना" की स्थापना की। जहाँ वर्तमान में "सिद्ध गोरखनाथ पीठ "स्थापित है। नाथ सम्प्रदाय के महान प्रवर्तक ने अपनी अलौकिक व आधात्मिक गरिमा से इस स्थान को पवित्र किया था अत: योगेशवर श्री गोरखनाथ जी की तपोस्थली व पुण्य स्थल होने के कारण इस स्थान का नाम " सिद्ध गोरखनाथ पीठ" पडा। महायोगी गुरू गोरखनाथ जी की यह तपोभूमि प्रारंभ में एक तपोवन के रूप में रही होगी। आज हम सिद्ध गोरखनाथ पीठ के दर्शन कर हर्ष और शांति अनुभव करते हैं वह ब्रह्मलीन महंत योगी साहबनाथ जी महाराज जी की कृपा से है। वर्तमान पीठाधीश्वर महंत योगी रघुनाथ जी महाराज के संरक्षण में सिद्ध गोरखनाथ पीठ विशाल, आकर-प्रकार , प्रागंण की भव्यता तथा पवित्र रमणीयता को प्राप्त हो रहा है पुराना मंदिर नव निर्माण की विशालता और व्यापकता में समाहित हो गया है।

| दोहा॥

गणपति गिरजा पुत्र को सुमिरु बारम्बार , हाथ जोड़ बिनती करू शारद नाम आधार॥

|| चोपाई॥

  • 1) जय जय जय गोरख अविनाशी , कृपा करो गुरुदेव प्रकाशी ॥
  • 2) जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी , इच्छा रूप योगी वरदानी ॥
  • 3) अलख निरंजन तुम्हरो नामा , सदा करो भक्त्तन हित कामा ॥
  • 4) नाम तुम्हारो जो कोई गावे , जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥
  • 5) जो कोई गोरख नाम सुनावे , भूत पिसाच निकट नहीं आवे||
  • 6) ज्ञान तुम्हारा योग से पावे , रूप तुम्हारा लख्या न जावे ॥
  • 7) निराकार तुम हो निर्वाणी , महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥
  • 8) घट – घट के तुम अंतर्यामी , सिद्ध चोरासी करे परनामी ॥
  • 9) भस्म अंग गल नांद विराजे, जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥
  • 10) तुम बिन देव और नहीं दूजा , देव मुनिजन करते पूजा ॥
  • 11) चिदानंद संतन हितकारी , मंगल करण अमंगल हारी ॥
  • 12) पूरण ब्रह्मा सकल घट वासी , गोरख नाथ सकल प्रकाशी॥
  • 13) गोरख गोरख जो कोई धियावे , ब्रह्म रूप के दर्शन पावे॥
  • 14) शंकर रूप धर डमरू बाजे , कानन कुंडल सुन्दर साजे ॥
  • 15) नित्यानंद है नाम तुम्हारा , असुर मार भक्तन रखवारा ॥
  • 16) अति विशाल है रूप तुम्हारा , सुर नर मुनि जन पावे न पारा ॥
  • 17) दीनबंधु दीनन हितकारी , हरो पाप हम शरण तुम्हारी॥
  • 18) योग युक्ति में हो प्रकाशा, सदा करो संतान तन बासा॥
  • 19) प्रात : काल ले नाम तुम्हारा, सिद्धि बढे अरु योग प्रचारा॥
  • 20) हठ हठ हठ गोरछ हठीले , मर मर वैरी के कीले॥
  • 21) चल चल चल गोरख विकराला, दुश्मन मार करो बेहाला॥
  • 22) जय जय जय गोरख अविनाशी, अपने जन की हरो चोरासी ॥
  • 23) अचल अगम है गोरख योगी , सिद्धि दियो हरो रस भोगी ॥
  • 24) काटो मार्ग यम को तुम आई, तुम बिन मेरा कोन सहाई॥
  • 25) अजर अमर है तुम्हारी देहा , सनकादिक सब जोरहि नेहा ॥
  • 26) कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा , है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥
  • 27) योगी लखे तुम्हारी माया , पार ब्रह्म से ध्यान लगाया ॥
  • 28) ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे , अष्ट सिद्धि नव निधि पा जावे ॥
  • 29) शिव गोरख है नाम तुम्हारा , पापी दुष्ट अधम को तारा ॥
  • 30) अगम अगोचर निर्भय नाथा, सदा रहो संतन के साथा॥
  • 31) शंकर रूप अवतार तुम्हारा , गोपीचंद, भरथरी को तारा ॥
  • 32) सुन लीजो प्रभु अरज हमारी , कृपासिन्धु योगी ब्रहमचारी ॥
  • 33) पूर्ण आस दास की कीजे , सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥
  • 34) पतित पवन अधम अधारा , तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥
  • 35) अखल निरंजन नाम तुम्हारा , अगम पंथ जिन योग प्रचारा ॥
  • 36) जय जय जय गोरख भगवाना, सदा करो भक्त्तन कल्याना॥
  • 37) जय जय जय गोरख अविनाशी , सेवा करे सिद्ध चोरासी ॥
  • 38) जो यह पढ़े गोरख चालीसा , होए सिद्ध साक्षी जगदीशा॥
  • 39) हाथ जोड़कर ध्यान लगावे , और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥
  • 40) बारह पाठ पढ़े नित जोई , मनोकामना पूर्ण होई ॥

॥ दोहा ॥

सुने सुनावे प्रेम वश, पूजे अपने नाथ, मन इच्छा सब कामना, पुरे गोरखनाथ ॥ अगम अगोचर नाथ तुम, पारब्रह्म अवतार, कानन कुण्डल सिर जटा, अंग विभूति अपार ॥ सिद्ध पुरुष योगेश्वरो, दो मुझको उपदेश, हर समय सेवा करूँ, सुबह शाम आदेश ॥

सनातन गोरख धर्म एक रूहानी मिशन है

सनातन गोरख धर्म एक रूहानी मिशन है जिसमें सारी मानव जाति को एक होकर सभ्य समाज के निर्माण का पाठ पढ़ाया जाता है संसार में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति समान है सनातन गोरख धर्म ऊंच-नीच, जाति के आधार पर बटवारा नहीं करता और किसी भी मत-मजहब को छोटा या बड़ा नहीं मानता यह आपसी प्रेम-प्यार को बढ़ावा देता है सनातन गोरख धर्म आस्था व धर्म के नाम पर होने वाले शोषण को सिरे से खारिज करता है यह किसी विशेष स्थान या व्यक्ति व समाज में भ्रांति फैलाने वाली सभी प्रकार की परम्परा व प्रथा का खंडन करता है सनातन गोरख धर्म का उदेश्य सारे संसार को एक सूत्र में पिरोकर सभ्य समाज का निर्माण करना है सनातन गोरख धर्म सभी सम्प्रदायों के लोगों को साथ लेकर चलने वाली वो नाव है जो मानवता को एकता व प्रेम का पाठ पढ़ाते हुए नफरत व द्वेष को समाज से समाप्त करने का कार्य करता है हर सम्प्रदाय के व्यक्ति को सम्मान देते हुए सनातन गोरख धर्म की स्थापना हुई अत: किसी भी सम्प्रदाय का व्यक्ति सनातन गोरख धर्म को और इसके मार्ग पर चलकर अपने जीवन का विकाश करते हुए मोक्ष को पा सकता है सनातन गोरख धर्म अपनाने के नियम
1. समस्त संसार में एक ही धर्म है सनातन गोरख धर्म
2. जाति भेदभाव, ऊंच-नीच , धर्म-मजहब, व ब्रह्माण्, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र के आधार पर समाज का बंटवारा न करके सनातन गोरख धर्म में आस्था रखना,

3 सिर्फ एक भगवान् को मानना जो दोनो रूपों में पाया जाता है निराकार व साकार दोनों रूपों में सिर्फ गोरख में आस्था रखना
4 सनातन गोरख धर्म के संस्थापक पूज्य महाराज श्री महंत योगी रघुनाथ जी हैं उन्हें पैगेम्बर के रूप में स्वीकार करना व गुरु और भगवान् में आस्था रखना
5 सभी प्रकार के पाखण्ड व आडंबर को छोड़ सिर्फ सनातन गोरख धर्म में आस्था रखना स्थान का महत्व सनातन गोरख धर्म में भक्ति करने के लिए स्थान का कोई महत्व नहीं है मन में सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए सनातन गोरख धर्म पूजा पाठ के पाखण्ड में होने वाले कर्म कांड को सिरे से खारिज करता है अत: भगवान् की भक्ति के लिए किसी प्रकार के पाखंड की कोई अवस्यकता नहीं बस सच्ची श्रधा व विश्वास में ही भगवान् का वास है सनातन गोरख धर्म अपनाने के पश्चात् हम सभी गोरख धर्म को मानने वाले सभी गोरख धर्म प्रेमियों के साथ जाति, मत-मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेंगे सभी को समानता का अधिकार होगा सनातन गोरख धर्म सिर्फ शक्ति पूजा में विश्वास रखता है सनातन गोरख धर्म को मानने वाले को स्नान, ध्यान, व्यायाम की पद्धति को अपनाना होगा सनातन गोरख धर्म कुल देवी, कुल देवता, पितृ देवता व इष्ट देवता के रूप में स्थान की पूजा नहीं करता क्योंकि स्थान खंडित हो जाते हैं सनातन गोरख धर्म शक्ति की पूजा में विश्वास रखता है.

सनातन गोरख धर्म अपनाने के लाभ


1.जाति के आधार पर भेदभाव से मुक्ति
2. धर्म व वर्ग के आधार पर भेदभाव से छुटकारा
3. स्थान पूजा व पाखंड से मुक्ति
4. सीधा शक्ति से जुड़ने का सरल मार्ग
5. धर्म के नाम पर होने वाले शोषण से मुक्ति
6. मांगलिक दोष, ग्रह दोष, पितृ दोष, वास्तु दोष सभी प्रकार के दोषों से एक बार में ही छुटकारा
7. बार-बार पितृ दोष व पूजा-पाठ में होने वाले समय की बर्बादी और खर्च से छुटकारा
8. भक्ति का सबसे सरल व सच्चा मार्ग
9. सनातन गोरख धर्म से सभी दुख: व कष्ट दूर होते हैं
10. सनातन गोरख धर्म समस्त संसार एक परिवार मानकर प्रेम का पाठ पढ़ाया जाता है

सनातन गोरख धर्म को न अपनाने से होने वाली हानि

1.जाति के आधार पर भेदभाव का शिकार
2.धर्म व वर्ग के आधार पर भेदभाव
3. स्थान पूजा में होने वाले पाखंड के चक्र में पड़कर समय व पैसे की बर्बादी
4. धर्म के नाम पर हो रहे शोषण का शिकार होते रहना
5. मांगलिक दोष, ग्रह दोष, पितृ दोष, वास्तु दोष आदि दोषों के चक्र में डालकर हमेशा मानसिक परेशानी व धन का नुकसान
6 शक्ति का कोई ज्ञान नहीं पाखंड में समय व धन की बर्बादी
7. भक्ति के मार्ग से हमेशा भटके रहना
8. पाखण्ड व अंध विश्वास के चक्र में समय व जीवन का नुकसान
9. समस्त संसार में धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा से नुकसान

सनातन गोरख धर्म एक सभ्य समाज के निर्माण की शुरुआत है और धर्म के नाम पर होने वाली ग्लानि को धरती से समाप्त करके प्रकृति की रक्षा, सभी जीवों को जीने का अधिकार व जियो और जीने दो की नीति को अपनाना है